एक किसान के लड़के से लेकर एक चिंतक, कल्याणकारी दानवीर राजा तक का सयाजीराव गायकवाड का यह सफर बिल्कुल अद्भुत है। तख़्त पर आने के दूसरे ही साल अछूतों की शिक्षा का आदेश जारी करने वाले सयाजीराव ने शिक्षा के जरिए भीमराव आंबेडकर जैसे क्रांतिकारी नेता का निर्माण किया। स्नातक तथा उच्चशिक्षा हेतु अमेरिका-इंग्लैंड जाने के लिए उन्हें ऋण के रूप में छात्रवृत्ति दी और आगे चलकर वह माफ भी की।
अछूतों के लिए मुफ्त शिक्षा देने वाले, हिंदू पुरोहित बनने का अवसर उपलब्ध करने वाले, नौकरी के लिए बड़ौदा आए भीमराव के लिए बंगला बनाने का आदेश देने वाले, बौद्ध धर्म को राज्याश्रय देने वाले, मंदिर और सार्वजनिक कार्यालयों में अस्पृश्यता-निषेध कानून बनाने वाले सयाजीराव सच्चे अर्थ में अछूतोद्धारक थे।
चौंसठ साल तक राजकाज चलाने वाले सयाजीराव का कार्यकाल भारतीय समाज सुधार और सुप्रशासन का एक अनोखा इतिहास है।
महाराजा सयाजीराव और भीमराव आंबेडकर जैसे दो दूरद्रष्टा युगपुरुषों के कार्य का परिचय देने का यह अदना-सा प्रयास है।
‘मैंने महाराजा सयाजीराव गायकवाड और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर पुस्तक पढ़ी है। इससे अनेक नई बातें मेरी समझ में आई हैं। भेजी गए शेष ग्रंथ भी मैं पढ़ने वाला हूँ।’
– प्रोफेसर सुखदेव थोरात
‘आप सयाजीराव गायकवाड के संबंध में अविश्वसनीय काम कर रहे हैं। डॉ. बाबासाहब आंबेडकर की इच्छा थी कि वे महाराजा सयाजीराव का चरित्र लिखें।
वह इच्छा इस कार्य के कारण पूरी हो रही है।’ ।
– सूरज एंगडे
Reviews
There are no reviews yet.